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प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज एक स्वागत योग्य शुरुआत, परंतु और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता

Date : 28-Mar-2020

दिल्ली, 26 मार्च | प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज एक स्वागत योग्य शुरुआत, परंतु और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता

एक्शनएड एसोसियेशन प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना का स्वागत करती है. वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने  कोविड-19 बीमारी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भी खलल पड़ा है और जिसका सबसे प्रतिकूल प्रभाव कम आय वाले परिवारों और ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रहे लोगों पर पड़ा है, के असर से निपटने के लिए 1.7 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया.

उठाए गए क़दमों में वे अनियमित क्षेत्र भी शामिल हैं, जहाँ भारत के कामगारों का एक बड़ा तबक़ा काम करता है. यह पैकेज कोविड-19 ‘ईकनोमिक रिस्पोंस टास्क फ़ोर्स’ के सामने 25 मार्च 2010 को प्रस्तुत एक्शनएड एसोसियेशन तथा अन्य सिविल सोसाईटी संगठनों और अर्थशास्त्रियों के सुझावों के अनुरूप है.

कल्याण पैकेज एक स्वागत योग्य शुरुआत है. परंतु आगामी सप्ताहों में आर्थिक और सामाजिक तबाही के विपरीत असर को कम करने हेतु और भी क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है. साथ-साथ हमें इस स्तर के संकट से निपटने के लिए अपनी स्वास्थ्य देखरेख प्रणाली को भी दुरुस्त करने की ज़रूरत है. हमारा अनुमान है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने हेतु उठाए गए ज़रूरी लॉकडाउन के प्रतिकूल असर को कम करने के लिए, पैकेज में सहायता राशि ज़्यादा से ज़्यादा तबक़ों तक पहुँचाने की आवश्यकता है, ख़ासकर उन लोगों तक, जो फ़िलहाल किसी सामाजिक सुरक्षा घेरे में नहीं आते. प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के अंतर्गत की गई विशिष्ट घोषणाओं के मुत्तालिक हम यहाँ कुछ सुझाव प्रस्तुत करना चाहते हैं:

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत राशन में बढ़ौतरी एक स्वागत योग्य क़दम है; हालाँकि, राशन की पहुँच तुरंत ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक बढ़ाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूखे की स्थिति के संदर्भ में दिए गए आदेश की तर्ज़ पर, सरकार को राशन ना केवल कार्ड धारियों, बल्कि किसी भी ज़रूरतमंद को मुहैया कराना चाहिए.
  2. सरकार को बेघरों, अकेले रह रहे वृद्धों, ज़रूरतमंद बच्चों और अन्य असहाय समूहों के लिए पका-पकाया भोजन सुनिश्चित करना चाहिए. जबकि कई राज्य सरकारें होमलेस शेल्टरों और/ या सरकारी कैंटीनों की मार्फ़त पहले से ही ऐसा कर रही हैं. स्टेडियम और ख़ाली पड़ी सार्वजनिक बिल्डिंगों में भोजन परोसकर केंद्र सरकार इन प्रयासों को प्रोत्साहित करे.
  3. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के ज़रिए दी जाने वाली नक़द राशि बढ़ाने के अलावा, सरकार को यह भी सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि जो किसान अपनी फ़सल कटने का इंतेज़ार कर रहे हैं वे अपना उत्पाद बाज़ार में बेच सकें. कई राज्यों से ख़बर आ रही है कि मंडियों को बंद किया जा रहा है और किसान वहाँ तक नहीं पहुँच पा रहे हैं. सरकार को बिना विलंब ऐसे इलाक़ों में फल और सब्ज़ियों की उचित दाम पर (कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर) ख़रीद सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
  4. सरकार को तुरंत किसानों की क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा और उनसे तमाम अन्य क़िस्म की क़र्ज़ वसूली पर फ़िलहाल रोक लगा देनी चाहिए.
  5. जबकि मनरेगा मज़दूरों की दिहाड़ी में इज़ाफ़ा किया गया है, सरकार द्वारा मज़दूरों की पिछली दिहाड़ी का भुगतान करने की ज़रूरत है. चूँकि वित्त मंत्री ने कहा है कि जहाँ संभव हो वहाँ मनरेगा कार्य चलता रह सकता है, परन्तु समुचित सामाजिक दूरी बनाए रखने की एहतियात के साथ. सरकार को काम की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए, और साल में अधिकतम 100 दिन की पाबंदी हटा लेनी चाहिए, और जैसाकि अतीत में भी किया जा चुका है, इसे 150 दिन कर दिया जाए. कोविड-19 के ख़िलाफ़ किए जा रहे प्रयासों में इन कर्मियों को लगाया जा सकता है: जैसे, उनसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और ज़िला अस्पतालों के इंफ़्रास्ट्रक्चर को सुधारने के काम; सामुदायिक किचन चलाने; बीमारी की चपेट में आए परिवारों के सदस्यों तथा अन्य ज़रूरतमंद लोगों/ परिवारों तक खाना पहुँचाने; साबुन, हैंड सेनिटाईसर, पानी, मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरण वितरण के काम; और सामुदायिक जागरूकता फैलाने के काम, कोरोना संदिग्ध मरीज़ों को अस्पतालों का चक्कर ना लगाना पड़े इसके लिए घर-घर जाकर जाँच रिपोर्टें एकत्रित करने, इत्यादि का काम लिया जा सकता है. सरकार शहरी रोज़गार गारंटी योजना भी शुरू करे.
  6. विधवाओं, अपाहिजों, और वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली पेंशन की राशि में वृद्धि की घोषणा की जाए ताकि उन्हें कम से कम मासिक 5,340 रुपए, या, मासिक न्यूनतम वेतन के आधे के बराबर की राशि मिल सके. अन्य कमज़ोर वर्ग, जिनके पास जीविका कमाने के कम श्रोत हैं जैसे ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाली एकल महिलाएँ (विधवाओं के अलावा), जिनमे तलाक़शुदा, पृथक रह रही महिलाओं तथा 35 वर्ष से ऊपर की अविवाहित महिलाएँ, सेक्स वर्कर और हिंसा की शिकार महिलाओं को भी शामिल किया जाए.
  7. महिलाओं के जन-धन खाते में नक़द ट्रांसफ़र की घोषित राशि अपर्याप्त है. इस रक़म से वे अपने परिवारों की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति नहीं कर सकतीं. चूँकि आगामी महीनों में आमदनी के कोई अन्य अवसर नहीं होंगे, सरकार इनके लिए न्यूनतम वेतन 10,680 रुपए मासिक, या जो भी अधिक हो, देना सुनिश्चित कर सकती थी.
  8. अनियमित कामगारों की एक बड़ी संख्या है. ख़ासकर, रोज़ाना दिहाड़ी कमाने वाले, घरेलू उद्योगों  में काम करने वाले, घरों में काम करने वाले, जिनका श्रम विभाग में ना तो पंजीकरण है और ना ही वे इस पैकेज में घोषित किसी स्कीम के अंतर्गत आते हैं. इसलिए सरकार को ऐसे कामगारों को 10,680 रुपए की राशि, या, मासिक न्यूनतम मासिक वेतन, जो भी अधिक हो, ट्रांसफ़र करने चाहिए. सभी ग़रीबी रेखा के नीचे और ग़रीबी रेखा के ऊपर तथा अंतयोदय कार्ड धारकों समेत.
  9. कई लोग ऐसे भी हैं जिनके बैंक खाते नहीं हैं. इनमे बेघर लोग और रोज़ दिहाड़ी कमाने वाले लोग शामिल हैं. सरकार द्वारा इन लोगों तक नियमित रूप से राहत पहुँचाने की ज़रूरत है. इस राहत को 10,680 रुपए नक़द, या, सूखा राशन, दवाइयाँ, साबुन और सेनीटाइज़र के रूप में मुहैया करवाया जा सकता है.
  10. जबकि सरकार ने काम पर ना आने की सूरत में भी नियोक्ताओं को अपने ठेका और अनियमित मज़दूर समेत, किसी कर्मचारी को काम से ना निकालने और उनके वेतन के भुगतान का निर्देश जारी किया है, कई प्रतिष्ठान, ख़ासकर एमएसएमई, समर्थन के अभाव में ऐसा कर पाने में असमर्थ हैं. सरकार को ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए तुरंत ‘पे रोल’ समर्थन तरीक़ा घोषित करना चाहिए.
  11. कई क़िस्म के काम करने वाले प्लेटफ़ॉर्म वर्कर कहलाने वाले कामगार जैसे ड्राइवर, डिलिवरी बॉय, ब्यूटिसियन, पलंबर, पेंटर, सुरक्षा कर्मचारी, इत्यादि बेहद असुरक्षित स्थिति में हैं क्योंकि उन्हें कर्मचारी माना ही नहीं जाता, इसलिए उन्हें मासिक वेतन, सामाजिक सुरक्षा, और स्वास्थ्य लाभ जैसी सुविधाएँ नहीं मिलती. सरकार द्वारा प्लेटफ़ॉर्म मालिकों नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि वे अपने सेवा प्रदान करने वालों को आर्थिक सहायता प्रदान करें, जो उनकी मासिक औसत आय के बराबर हो; और इसके साथ उन्हें अगले तीन महीनों के लिए उनकी औसत कमाई का 50 फ़ीसदी भुगतान करें. प्लेटफ़ॉर्म मालिकों को अपने पंजीकृत सेवा प्रदानकर्ताओं को सुरक्षा उपकरण भी प्रदान करने होंगे.
  12. वित्त मंत्री ने महिलाओं के नेतृत्व में चलने वाले स्वयं सहायता समूहों के लिए एनआरएलएम के अंतर्गत 20 लाख रुपए तक के ‘कोलेट्रल फ़्री लोन’ की घोषणा की है. हालाँकि, इस अचानक आए विघ्न से कई स्वयं सहायता समूहों की सप्लाई चेन टूट गई है, या, उन्हें ज़रूरी सेवाओं की सूची में शामिल नहीं किया गया है. सरकार को इन स्वयं सेवा समूहों को ज़रूरी उत्पाद, जैसे सुरक्षा उपकरण बनाने की दिशा में मोड़ देना सुनिश्चित करना चाहिए.
  13. मौजूदा ‘बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन फ़ंड’ और ‘डिस्ट्रिक्ट मिनरल फ़ंड’ जैसे कल्याणकारी कोष के अलावा सरकार को अलग से एक मज़दूर राहत कोष बनाना चाहिए ताकि इस पैकेज को प्रभावकारी और पारदर्शी बनाया जा सके.
  14. जबकि स्वास्थ्य और सेनिटेशन सेवाएँ प्रदान करने वाले कामगारों समेत सभी फ़्रंटलाइन कामगारों के लिए बीमा की सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाना अत्यंत आवश्यक है, यह सुविधा इस संकट के समय में नदारद है. सरकार द्वारा आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, ऐएनएम वर्कर, सेनिटेशन वर्कर, कचड़ा उठाने वाले वर्कर को नियमित दिहाड़ी और सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाने की ज़रूरत है.

एक्शनएड एसोसियेशन वित्त मंत्री के इस वक्तव्य का स्वागत करती है कि आर्थिक कार्य बल द्वारा स्थिति पर लगातार नज़र रखी जाएगी और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के जीवन और जीविका को बचाने के लिए आगे भी क़दम उठाना जारी रहेगा. इस विकट संकट से मिलजुलकर निबटने के लिए हमें ब्लॉक, वार्ड और ज़िला स्तर पर इन और अन्य ज़रूरी क़दमों की प्रतीक्षा है.

बीमा सुविधा दिए जाने के अलावा हम अन्य क़दमों के लिए प्रतीक्षारत हैं, ख़ासकर आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, ऐएनएम वर्कर, सेनिटेशन वर्कर जैसे फ़्रंटलाइन कामगारों की सुरक्षा के लिए, तथा ब्लॉक और ज़िला स्तर पर सामुदायिक प्रयासों को मज़बूत करने हेतु.

एक्शनएड एसोसियेशन प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना में चिन्हित कमज़ोर तबक़ों में कोविड-19 के प्रसार को रोकने और सीमित करने के लिए आवश्यक लॉकडाउन तथा सरकारी प्रयासों को अपना पूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान करती है.

एक्शनएड एसोसियेशन के बारे में

एक्शनएड इंडिया, 1972 से देश में कमज़ोर तबक़ों के साथ कार्यरत है. आज की तारीख़ में यह 250 से ज़्यादा सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर 24 राज्यों और दो केंद्र शषित प्रदेशों में सक्रिय है. एक्शनएड एसोसियेशन को 2006 में भारतीय संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था. देश के सबसे ग़रीब और समाज में हाशिए पर जीवन बसर कर रहे लोगों तक, विकास के फल एवं जीविका, खाद्य सुरक्षा, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा जैसे संवैधानिक अधिकारों तथा सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना, इसका प्रमुख ध्येय रहा है. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक्शनएड एसोसियेशन ग़ैर-सरकारी संस्थाओं, संस्थानों, सरकारी मंत्रालयों तथा राज्य एवं केंद्र स्तर पर विभिन्न आयोगों के साथ मिलकर काम करती है.

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Joseph Mathai | mathai.joseph@actionaid.org | 9810188022