बाजारवाद से बचना होगा युवाओं को – ActionAid India
+91 80 25586293

बाजारवाद से बचना होगा युवाओं को

Author: Sharad Kumari
Posted on: Saturday, 14th October 2023
समाज सेवा के क्षेत्र में आने वाले युवाओं के लिए आज बाजारवाद सबसे बड़ी चुनौती है। अपनी जरूरतों को पूरा करने की होड़ में लगी पीढ़ी पर परिवार और समाज का भी अत्यधिक दबाव है । ऐसे में जो युवा संवेदनशील होते हैं और धरातल से जुड़कर काम करना चाहते हैं, वे भी कहीं न कहीं आर्थिक और सामाजिक बाधाओं के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं ।” समाजसेवी और एक्शन एड की प्रोग्राम मैनेजर शरद कुमारी जब ये बातें कहती हैं तो उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें फैल जाती हैं। वे साफ तौर पर कहती हैं कि आज की पीढ़ी पिछली पीढ़ियों की तुलना में कहीं अधिक तेज हैं और चौबीसों घंटे सूचनाओं से घिरी हैं। उनके पास सीखने के तेज और आकर्षक साधन हैं। ऐसे में उन्हें सही और गलत का फर्क समझाना बड़ी चुनौती है, और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी सरकार, समाज और परिवार की है। हमने अपने संघर्षो से जो कुछ पाया है, उसे सहेजने और आगे बढ़ाने का दायित्व आज की युवा पीढ़ी के कंधों पर है लेकिन उन्हें सही राह दिखाने की महती जिम्मेदारी हम सबको मिलकर निभानी होगी ।
युवा महिलाओं पर सांस्कृतिक दबाव
शरद जी कहती हैं कि समाज सेवा के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने देखा है कि लड़कियां बाहर निकलना चाहती हैं, दुनिया देखना चाहती हैं लेकिन परिवार उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता है। शादी के पहले परिवार उन्हें अकेली लड़की होने का भय दिखाता है तो शादी के बाद मायके और ससुराल की इज्जत बनाए रखने का बोझ थोप कर उन्हें घर में कैद कर देता है। दुखद तो यह है कि आज धर्म और संस्कृति के नाम पर पढ़ी-लिखी लड़कियों को भी बहलाया जा रहा है। शादी के पहले अच्छी-खासी नौकरी कर रही बहुत सारी लड़कियां शादी के बाद अपनी नौकरी स्वेच्छा से छोड़कर पति को परमेश्वर मानने की सोच को सही ठहराने लगी हैं और घरेलू हिंसा को नए रूप में स्वीकार करने लगी हैं। बाजार में औरतों को केवल देह की कीमत समझाई जा रही है, दिमाग की नहीं, और यह स्थिति घातक हो सकती है।
समाज सेवा में युवाओं की भूमिका
पहले की तुलना में आज बहुत अंतर आया है, खासकर समाज सेवा के क्षेत्र में हम देखते हैं कि जो बच्चे डिजिटल दुनिया को स्वस्थ तरीके से सीख पा रहे हैं, वे स्वस्थ परिवर्तन के वाहक बन रहे हैं। उनकी मदद से समुदायों में बदलाव को तेजी से लाया जा सकता है। बाल विवाह, बाल मजदूरी के अभिशाप को बताने और शिक्षा के महत्व को दिखाने के लिए आज इंटरनेट पर अच्छी सामग्री उपलब्ध है, जिसका फायदा बच्चे भी उठा रहे हैं और अपने माता-पिता व समाज को जागरूक कर रहे हैं। हालांकि बहुत सारे लड़के-लड़कियां समाज सेवा के क्षेत्र में इसलिए आते हैं क्योंकि उन्होंने इसकी पढ़ाई की हुई होती है। वे एक पेशेवर की तरह इस क्षेत्र में आते हैं। आज मेरे साथ कई कार्यकर्ता हैं जो बाल विवाह पर काम कर रहे हैं लेकिन उनमें से कई लोग इस समस्या को जड़ से नहीं समझ पाते हैं । कई बार वे भी आम लोगों की भाषा में ही बात करने लगते हैं । फिर भी उनके बीच में ही कुछ ऐसे युवा निकलते हैं जो इन समस्याओं के प्रति संवेदनशील होते हैं और वे भविष्य के सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर सामने आते हैं ऐसे युवा दिल से सोचते हैं और लोगों से जुड़ पाते हैं |
एक्शनएड एसोसिएशन के प्रोग्राम मैनेजर शरद कुमारी का “मंजरी” में प्रकाशित एक साक्षात्कार