देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“ – ActionAid India
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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“

Date : 15-Aug-2020

अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.”

देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है. 

सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब आधे लोगों, जो प्रवासी मज़दूर थे, ने कहा कि वे एक महीने से भी ज़्यादा फँसे रहे. आवश्यक सेवाओं तक लोगों की पहुँच भी बुरी तरह से प्रभावित हुई. कुल 11,537 लोगों के केवल छठे हिस्से ने ही कहा कि उनका खाद्य उपभोग पर्याप्त भर रहा, लॉकडाउन से पहले से काफ़ी कम था, जबकि उनमें से 83% को लगता था कि उनका खाद्य उपभोग पर्याप्त था. खाद्य उपभोग की आवृति में भी भारी कमी आई है. जब उनसे पूछा गया कि वे दिन में कितनी बार खाना खाते थे तो 93% ने कहा लॉकडाउन से पहले वे दिन में दो बार भोजन करते थे. केवल 63% ने ही लॉकडाउन के बाद, दो बार भोजन करने की बात बताई. क़रीब तीन-चौथाई ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच नहीं थी.

ऊपर दिए गए आँकड़े एक्शनएड एसोसिएशन द्वारा लॉकडाउन के तीसरे चरण, अनियमित कामगारों के राष्ट्रव्यापी अध्ययन में, देश भर के 20 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से एकत्रित किए गए हैं. एक्शनएड एसोसिएशन द्वारा कई चरणों में किये जा रहे व्यापक अध्ययन की यह पहली रिपोर्ट है. सर्वेक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की पहले से मौजूद दुशवारियों को, जिनमे 60% प्रवासी मज़दूर हैं, यहाँ रेखांकित किया गया है. यह रिपोर्ट उनकी जीविका, वेतन, और राहत एवं अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी रौशनी डालती है. इसके अलावा, इस रिपोर्ट में आवास, देनदारी, खाद्य सामग्री, पेयजल तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच, जिसका लंबे समय में उनके जीवन पर व्यापक असर पड़ सकता हैं, पर भी बात रखी गई है.

महामारी के कारण अनियमित कामगारों के जीवन और जीविका में आने वाले बदलावों को भी यह रिपोर्ट दर्ज करती है. यह रिपोर्ट संकट की इस घड़ी में लड़ने के लिए उनके द्वारा अपनाए जाने वाले तरीक़ों के अनुभवों पर भी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है. आगामी महीनों में, कई चरणों में इन्हीं प्रतिभागियों के साथ किए जाने वाले सर्वेक्षणों में उनकी आय, रोज़गार, प्रवासन के स्वरूप, संपत्ति स्वामित्व, खाद्य पदार्थों तक पहुँच, पेयजल, आवश्यक सेवाओं, क़र्ज़दारी, बचत, अधिकार और सामाजिक सुरक्षा पर नज़र रखी जायेगी.

इस अध्ययन का मक़सद जारी संकट में कामगारों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों और उनके द्वारा इससे निबटने के लिए अपनाए गए कारगर तरीक़ों पर समझदारी को गहरा बनाना है.

यह रिपोर्ट अनियमित कामगारों तक राहत सामग्री पहुँचाने, उनके जीवन और जीविका के श्रोतों के पुनर्निर्माण और उनके अधिकारों की रक्षा की रणनीति तैयार करने में मददगार साबित होगी. एक्शनएड एसोसिएशन इस अध्ययन से, अनियमित कामगारों के साथ अपने ज़मीनी हस्तक्षेपों के लिए भी सीख लेगी और साथ-साथ नीति-निर्माताओं को दिशा प्रदान करने का भी काम करेगी. आज के संदर्भों और भविष्य में यह रिपोर्ट शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं, मज़दूर संगठनों तथा सिविल सॉसाईटी के सदस्यों के लिए भी उपयोगी साबित होगी.

इस मौक़े पर बोलते हुए एक्शनएड एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक, संदीप चाचरा ने कहा, “महामारी ने हमारे समाज की हदों, अर्थव्यवस्था तथा अन्य प्रक्रियाओं को भी उजागर किया है. कोविड-19 के प्रसार ने हमें अपनी कल्पना की हद दिखा दी है. हमने देखा कि इस संकट द्वारा दिए गए झटकों से कैसे सरकारें प्रभावकारी तरीक़े से निबटने में नाकाम रहीं. पिछले कुछ दशकों में हासिल किए गए सामाजिक-आर्थिक फ़ायदों, जैसे ग़रीबी और खाद्य असुरक्षा में कमी, को भारी आघात लगा है. इसके साथ-साथ, जातिगत, धार्मिक और लैंगिक दरारें भी पहले से ज़्यादा चौड़ी और गहरी हुई हैं. यह नीति-निर्माताओं और सिविल सॉसाईटी के लिए भी आत्ममंथन का समय है. वे विचार करें कि कैसे समुदायों को ऐसे किसी संकट से निबटने के लिए और अधिक सक्षम एवं मज़बूत बनाया जा सकता है. पुनर्निर्माण की इस प्रक्रिया में अपने चुनावों और तरीक़ों को लेकर हमें इससे मिली सीख को आत्मसात करने की ज़रूरत है. प्रगति के लिए एक ऐसा व्यवस्थागत परिवर्तन तभी संभव है, जब हम संरचनात्मक ‘फ़ॉल्ट लाइन’ की शिनाख्त करें और उसे समझें.”

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें:

https://www.actionaidindia.org/wp-content/uploads/2020/08/Workers-in-the-time-of-Covid-19_ebook1.pdf

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जोसेफ़ मथाई: 9810188022