सरकारी संस्थाओं और अधिकारियों को जवाबदेह बनाने और न्याय एवं सतत विकास की वकालत करने हेतु अथक प्रयास करने वाले मानवाधिकार, सामाजिक और पारिस्थितिकीय न्याय रक्षक लोकतांत्रिक ढाँचे के लिए बेहद ज़रूरी हैं। ये लोग और उनके संगठन, नागरिक और जनवादी अधिकारों के उल्लंघन के शिकार लोगों और व्यापक समाज के हितों की रक्षा करने का महत्वपूर्ण काम करते हैं। भारत अपने जीवंत लोकतंत्र और लगातार उन्नति करती अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। भारत के ये मानवाधिकार रक्षक सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय संविधान मानव अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी प्रदान करता है। इसलिए, सरकारी संस्थाओं को सभी के अधिकारों की रक्षा और प्रचार-प्रसार करने वाला अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है।
दशकों से एक्शनएड एसोसिएशन ने हजारों समुदाय-आधारित मानवाधिकार रक्षकों के साथ मिलकर काम किया है, जो व्यापक मुद्दों पर देश भर के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में मज़बूती से हस्तक्षेप कर रहे हैं। इन मुद्दों में बाल अधिकार, महिला अधिकार, श्रमिकों के अधिकार, भूमि अधिकार, दलित अधिकार, अल्पसंख्यक अधिकार, आदिवासी अधिकार और पारिस्थितिकीय न्याय शामिल हैं। तक़रीबन 32,000 से अधिक समुदाय-आधारित मानवाधिकार रक्षक हमें 25 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक्शनएड एसोसिएशन से जुड़े रहने में मदद करते हैं।
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