भारत का अनुमानित 90 प्रतिशत कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में काम करता है। लिहाज़ा, सरकार के लिए श्रमिकों के मानवाधिकारों, उनके लिए सम्मानजनक वेतन, सामाजिक सुरक्षा और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है। कोविड-19 महामारी ने प्रवासी और अनौपचारिक श्रमिकों की पहले से ही डांवाडोल स्थिति को बद से बदतर होते देखा। लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद श्रमिकों ने अपनी आजीविका, मजदूरी और कार्यदिवस खो दिए। अधिकांश अनौपचारिक श्रमिक, खराब विनियमित उद्यमों में कार्यरत हैं और इस तरह की कार्य व्यस्तताओं में आम तौर पर नौकरी की असुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी देने से इंकार, सभ्य कार्य मानकों और सामाजिक सुरक्षा संबंधी मुद्दे भरपूर होते हैं।
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